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डिप्लो्मा इन ऑप्थैठलमिक असिस्टेंरट

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डिप्लो्मा इन ऑप्थैठलमिक असिस्टेंरट: एक समय था जब लोग रोजगार के लिए परेशान हुआ करते थे। लेकिन आज का दौर है कि यहां पर रोजगार तो है लेकिन उस रोजगार के लिए जरूरी योग्‍यता वाले लोग नहीं हैं। इस वजह से गुणवत्‍ता के साथ प्रोडक्टिविटी भी प्रभावित हो रही है। आइए आपको इस आलेख में एक एक ऐसे प्रोफेशनल कोर्स से अवगत कराते हैं जिसे करके आप एक योग्‍यता के साथ उस रोजगार को हासिल करने के प्रबल दावेदार बन जाएंगे जिसे सिर्फ आपकी जरूरत है। हम बात कर रहे हैं पैरामेमिडकल फील्‍ड से जुडे आप्‍थैलमिक टेक्‍नीशियन कोर्स की। आप्‍थैलमिक टेक्‍नीशियन वह व्‍यक्ति होता है जो एक आप्‍थैलमोलोजिस्‍ट यानी कि आंखों के डाकटर के साथ काम करता है।

देश में कई सारे सरकारी व गैर सरकारी संस्‍थानों से आप यह कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स की सबसे बडी खासियत ये है कि इसे करने के बाद कोई बेरोजगार नहीं रह सकता। इसकी वजह ये है कि पैरामेडिकल फील्‍ड के तहत आने वाले इस तरह के टेक्निशियन की भरपूर मांग है। अवसर इस क्षेत्र में तेजी के साथ बढ रहे हैं। खास बात यह कि ये कोर्स नेशनल स्किल डेवलप्‍मेंट काउंसिल से अप्रूव्‍ड हैं। तो ऐसे में अगर आपका सपना कभी डॉक्‍टर बनने का था और वह पूरा नहीं हुआ है तो यह एक अवसर है जिसके जरिए आप अपने सपने को आधा तो पूरा ही कर सकते हैं।

कैसे बनें आप्‍थैलमिक टेक्‍नीशियन

आप्‍थैलमिक टेक्‍नीशियन बनने के लिए आपको डिग्री या डिप्‍लोमा कोर्स करना जरूरी है। डिप्‍लोमा कोर्स 2 साल का होता है। एक ऑप्‍थैलमिक असिस्‍टेंट का काम आंखों की डायग्‍नोसिस के साथ साथ टीटमेंट व बचाव का प्रशिक्षण दिया जाता है इसके अलावा किलनिकल डाटा इकटठा करना, पैशेंट के रिकार्ड को मेंटेन करने का जिम्‍मा होता है आप्‍थैलमिक के तहत कई तरह के आंखों से संबंधित क्‍लीनिकल फंक्‍शन किए जाते हैं। आप्‍थैलमिक असिस्‍टेंट आई डॉक्‍टर को पेशेंट की हिस्‍ट्री, विभिन्‍न तरह के तकनीकि और जांच में मदद करता है। आंख की किसी भी समस्‍या से जूझ रहे व्‍यक्ति के लिए आप्‍थैलमिक टेक्‍नीशियन डॉक्‍टर के साथ एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

क्‍या होनी चाहिए योग्‍यता

डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह के मुताबिक इस कोर्स को करने के लिए अभ्‍यर्थी को कम से कम 12वीं पास होना चाहिए जिसमें उसने फिजिक्‍स, केमिस्‍ट्री, बायोलॉजी जैसे विषयों को पढा हो। इसके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है जिसमें फिजिक्‍स, केमिस्‍ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी में पास होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा रेटिनोस्‍कॉपी, आंखों से संबंधित बीमारी का पता होना, लेंस की जानकारी, फ्रेम कैसेट तैयार करना है, आई कैंप के आयोजन की जानकारी होनी जरूरी है ।

डिप्लो्मा इन ऑप्थैठलमिक असिस्टेंरट

 

कोर्स के दौरान क्‍या पढें

कांट्रैक्‍ट और रिफ्रैक्टिव सर्जरी, ग्‍लूकोमा ट्रीटमेंट, पीडियाट्रिक आप्‍थैमोलाजी, मेडिकल रेटिना आप्‍थैमोलाजी और न्‍यूरो आप्‍थैमोलाजी जैसे क्षेत्र शामिल है। इस कोर्स के तहत लेंसोमेटरी, ऑक्‍यूलर फार्माकोलॉजी, केराटोमेटरी, आई मसल्‍स, रेफ्राक्‍टोमेटरी, विजुअल एक्‍युटी वगैरह पढाया जाता है, डिप्‍लोमा इन ऑप्‍थैलमॉलाजी दो वर्ष का कोर्स हैा पहले सेमिस्‍टर में एक वर्ष तक थ्‍योरी एंव प्रैक्टिकल कराया जाता है, फिर 6 महीने तक मोबाईल यूनिट के जरिए प्रशिक्षण दिया जाता है, और अगले 6 महीने प्राइमरी हेल्‍थ क्लिकनक में प्रशिक्षण दिया जाता हैा डिप्‍लोमा इन ऑप्‍थैलमॉलाजी कोर्स में 17 से 35 वर्ष तक की उम्र के अभ्‍यार्थी एडमिशन ले सकते हैं।

Also Read: आधुनिक चिकित्सा जगत में मेडिकल लैब टेक्निशियन का महत्व

कहां कहां है अवसर

डिप्‍लोमा इन ऑप्‍थैलमॉलाजी कोर्स करने के बाद सरकारी व गैर सरकारी आई सेंटर्स, हास्पिटल, हेल्‍थ केयर सेंटर्स, इंस्‍टीटयूट, मेडिकल कॉलेज, कम्‍युनिटी क्लिक ऑप्‍रेशन थियेटर, लेजर आई सर्जरी क्लिक आदि में रोजगार पा सकते हैं, तजुर्बे के बाद आप खुद का आई सेंटर या खुद का किलनिक भी खोल सकते हैं।

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