स्क्रीनिंग मैमोग्राफी:
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह एक एक्स-रे परीक्षण है जिसका उपयोग स्तन कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगाने के लिए किया जाता है। जब कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, तो उपचार की संभावना अधिक सफल होती है। इस ब्लॉग में, हम स्क्रीनिंग मैमोग्राफी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और यह भी जानेंगे कि डॉक्टर किस उम्र में इसे करवाने की सलाह देते हैं।
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी क्या है?
मैमोग्राफी एक विशेष प्रकार की एक्स-रे तकनीक है जिसका उपयोग स्तन के भीतर असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसमें स्तनों को एक मशीन के बीच रखा जाता है और फिर एक्स-रे किरणें स्तनों के माध्यम से पास की जाती हैं। इस प्रक्रिया से स्तन के अंदरूनी ढांचे की एक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त होती है, जिससे किसी भी गांठ या असामान्यता का पता लगाया जा सकता है।
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी का महत्व
1. प्रारंभिक पहचान: स्क्रीनिंग मैमोग्राफी स्तन कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगाने में मदद करती है, जब इलाज की संभावना अधिक होती है और कैंसर फैलने का खतरा कम होता है।
2. **उपचार की सफलता: प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता चलने से उपचार अधिक प्रभावी होता है और मरीज की जीवन प्रत्याशा बढ़ जाती है।
3. जीवन बचाना: अनुसंधानों ने दिखाया है कि नियमित स्क्रीनिंग मैमोग्राफी से स्तन कैंसर से मृत्यु दर में कमी आती है।
किस उम्र में स्क्रीनिंग मैमोग्राफी की सलाह दी जाती है?
डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, स्क्रीनिंग मैमोग्राफी की शुरूआत उम्र और जोखिम कारकों पर निर्भर करती है। यहां कुछ सामान्य दिशा-निर्देश दिए गए हैं:
1. औसत जोखिम वाली महिलाएं:
– अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, औसत जोखिम वाली महिलाओं को 45 साल की उम्र से सालाना मैमोग्राफी शुरू करनी चाहिए।
– 55 साल की उम्र के बाद, महिलाएं हर दो साल में एक बार मैमोग्राफी करवा सकती हैं, जब तक उनकी अच्छी स्वास्थ्य स्थिति हो और वे जीवित रहने की अपेक्षा करें।
2. उच्च जोखिम वाली महिलाएं:
– जिन महिलाओं के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास है या जिनके पास स्तन कैंसर के अन्य जोखिम कारक हैं, उन्हें 40 साल की उम्र या उससे पहले मैमोग्राफी शुरू करने की सलाह दी जाती है। इनके लिए डॉक्टर व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर स्क्रीनिंग का समय निर्धारित कर सकते हैं।
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी की प्रक्रिया
मैमोग्राफी की प्रक्रिया काफी सरल और त्वरित होती है:
1. तैयारी: टेस्ट के दिन, महिलाओं को कोई डिओडोरेंट, पाउडर, या लोशन नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ये पदार्थ एक्स-रे चित्रों में दिख सकते हैं।
2. प्रक्रिया: प्रक्रिया के दौरान, एक प्रशिक्षित टेक्नोलॉजिस्ट आपके स्तनों को मशीन में सही स्थिति में रखने में मदद करेगा। इसके बाद, मशीन से एक्स-रे किरणें स्तनों के माध्यम से पास की जाएंगी।
3. समय: पूरी प्रक्रिया में लगभग 20 मिनट का समय लगता है, और एक्स-रे लेने में कुछ सेकंड ही लगते हैं।
मैमोग्राफी के बाद
मैमोग्राफी के बाद, एक्स-रे चित्रों की समीक्षा एक रेडियोलॉजिस्ट द्वारा की जाती है। यदि कोई असामान्यता पाई जाती है, तो आगे के परीक्षणों की सलाह दी जा सकती है, जैसे कि अतिरिक्त मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, या बायोप्सी।
निष्कर्ष
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी एक महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीका है जिससे स्तन कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगाया जा सकता है। यह महिलाओं को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है और कैंसर के खतरे को कम करता है। उम्र और व्यक्तिगत जोखिम कारकों के आधार पर, डॉक्टर नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए, अपनी सेहत का ध्यान रखें और समय-समय पर अपने डॉक्टर से परामर्श करें कि कब आपको स्क्रीनिंग मैमोग्राफी शुरू करनी चाहिए।