logo icon

Hemophilia

About Image
August 17, 2024

हीमोफीलिया

हीमोफीलिया एक अनुवांशिक विकार है जो शरीर के रक्त के थक्के बनाने की क्षमता को बाधित करता है, जो चोट के बाद रक्तस्राव को रोकने के लिए आवश्यक है। इसके परिणामस्वरूप चोट के बाद लंबा समय तक खून बहना, आसानी से चोट लगना, और जोड़ों या मस्तिष्क में रक्तस्राव का जोखिम बढ़ जाता है। हीमोफीलिया के दो मुख्य प्रकार हैं:

1. हीमोफीलिया ए: यह फैक्टर VIII की कमी के कारण होता है।

2. हीमोफीलिया बी: यह फैक्टर IX की कमी के कारण होता है।

दोनों प्रकार आमतौर पर X-लिंक्ड रिसेसिव पैटर्न में विरासत में मिलते हैं, जो मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है, जबकि महिलाएं कैरियर होती हैं।

लक्षण:

  • कट, चोट या सर्जरी के बाद लंबा समय तक खून बहना
  • जोड़ों और मांसपेशियों में स्वतःस्फूर्त रक्तस्राव
  • बार-बार नाक से खून आना
  • पेशाब या मल में खून आना

निदान:

  • रक्त परीक्षण जो थक्के कारक के स्तर को मापते हैं
  • उत्परिवर्तन की पहचान के लिए जेनेटिक परीक्षण

उपचार:

  • कमी वाले थक्के कारक के साथ नियमित प्रतिस्थापन चिकित्सा
  • डेस्मोप्रेसिन (हल्के हीमोफीलिया ए के लिए)
  • रक्तस्राव की घटनाओं को रोकने के लिए निवारक (प्रोफिलैक्टिक) उपचार
  • जटिलताओं का प्रबंधन, जैसे जोड़ों की क्षति

हीमोफीलिया के लिए प्रयोगशाला निदान (लैब डायग्नोसिस) निम्नलिखित परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है:

 1. कंप्लीट ब्लड काउंट:

– यह परीक्षण लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं, और प्लेटलेट्स की संख्या को मापता है। हालांकि हीमोफीलिया का सीधा निदान इस परीक्षण से नहीं होता, लेकिन यह सामान्य रक्त स्थितियों की जानकारी देने में सहायक होता है।

 2. क्लोटिंग फैक्टर टेस्ट (फैक्टर अस्से):

 इस परीक्षण में रक्त के विशिष्ट क्लोटिंग फैक्टर की मात्रा को मापा जाता है। हीमोफीलिया ए के लिए फैक्टर VIII और हीमोफीलिया बी के लिए फैक्टर IX का स्तर कम पाया जाता है।

3. प्रोथ्रोम्बिन टाइम (PT) और एक्टिवेटेड पार्टियल थ्रोम्बोप्लास्टिन टाइम :

 यह परीक्षण बाहरी थक्का बनने के मार्ग (extrinsic pathway) का आकलन करता है। हीमोफीलिया में PT आमतौर पर सामान्य होता है।

 यह परीक्षण आंतरिक थक्का बनने के मार्ग (intrinsic pathway) का आकलन करता है। हीमोफीलिया में aPTT  बढ़ा हुआ होता है, जो थक्का बनने में समय अधिक लगने को दर्शाता है।

 4. फिब्रिनोजन टेस्ट:

 यह परीक्षण रक्त में फिब्रिनोजन नामक प्रोटीन की मात्रा को मापता है, जो थक्का बनने में महत्वपूर्ण होता है। हीमोफीलिया में यह आमतौर पर सामान्य होता है।

 5. मिक्सिंग स्टडीज़:

 इस परीक्षण में रोगी के रक्त को सामान्य रक्त के साथ मिलाया जाता है। अगर aPTT सामान्य हो जाता है, तो यह कारक की कमी का संकेत देता है, जो हीमोफीलिया में देखा जाता है।

 6. जेनेटिक टेस्टिंग:

यह परीक्षण उन जीन म्यूटेशनों को पहचानने में मदद करता है जो हीमोफीलिया का कारण बनते हैं। यह परीक्षण परिवार के सदस्यों में हीमोफीलिया का जोखिम जानने में सहायक होता है।

7. कैरियर टेस्टिंग (महिलाओं के लिए):

यह परीक्षण महिलाओं में हीमोफीलिया के वाहक होने की जांच के लिए किया जाता है, विशेषकर तब जब परिवार में हीमोफीलिया का इतिहास हो।

प्रस्तुतकर्ता: मानसी नागर

Recent Blogs

September 19, 2025

Eco-Friendly Home Improvements to Save Energy - DPMI

Read More
September 17, 2025

Benefits of Starting Your Own Hospitality Institute in India

Read More
September 15, 2025

How to Start a Hotel Management Institute in India: A Beginner’s Guide

Read More
September 12, 2025

नवजात शिशुओं में हीमोलिटिक रोग - DPMI India

Read More
September 10, 2025

Mocktail Magic: How F&B Staff Can Elevate the Guest Experience

Read More

DELHI PARAMEDICAL & MANAGEMENT INSTITUTE (DPMI)